गहरी समझ और संवेदना का दोहाकार : रघुविन्द्र यादव
प्रसिद्ध दोहाकार रघुविन्द्र यादव के अब तक तो दोहा संग्रह प्रकाशित हुए हैं 'नागफनी के फूल' और 'वक़्त करेगा फैसला' | उनके इन दोहा संग्रहों की संयुक रूप से समीक्षा कर रहे हैं वरिष्ठ दोहाकार श्री हरेराम समीप | परम्परागत हिन्दी मुक्तक काव्य में दोहा अकेला ऐसा छन्द है जो अपनी लघुता तीक्ष्णता और सम्प्रेषणीयता के कारण जनमानस में सदैव लोकप्रिय बना रहा है। इसका प्रमुख कारण यही है कि दोहे ने समय के साथ-साथ अपने कथ्य को बदला है। आज का दोहाकार नये दोहे को पूरी संवेदना और अपने अनुभूति सत्य के साथ ईमानदारी से उजागर कर रहा है। हिन्दी कविता में दोहा रचना आज नयी उर्जा और नए तेवर के साथ व्यापक पैमाने में सामने आ रही है। आज सैंकड़ों दोहाकार नए-नए प्रयोगों के साथ दोहे लिख रहे हैं और चर्चित हो रहे हैं। रघुविन्द्र यादव नए दोहे के इस अभियान में एक विशिष्ट नाम है। उनके दो दोहा संग्रह नागफनी के फूल ( 2011) और वक्त करेगा फैसला ( 2014) प्रकाशित...